Boys being rejected – रिजेक्ट होते लड़के

Aman Sharma

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बंटी आज फिर एक लड़की से मिलने जा रहा है। बंटी सीधा-सादा, दबे रंग का, तोंद के साथ ठीक-ठीक-सी लंबाईवाला साधारण मध्यमवर्गीय  दिखनेवाला लड़का है। पढ़ने में बहुत धुरंधर तो नहीं, पर बुरा भी नहीं, पर वह उतना ही पढ़ पाया जितना पिताजी की मर्जी थी। आजकल लड़कियां पढ़ी-लिखी  नौकरीवाली हैं, सो बेचारे बंटी जी ज्यादातर तो पहले पायदान पर ही लुढ़क जाते हैं।
‘‘हे भगवान! क्या जमाना आ गया है। छोरियां, छोरे को नापसंद कर रही हैं। हमारी तो कल्लो, बिल्लो, बिन्नी कई-कई बार नापसंद हुईं। लड़केवाले आते थे लड़की देखने, और समोसे-कचौड़ी  ठूंसकर चल देते थे, पर मजाल है बता दें, मुएं कुछ दिन बाद पोस्टकार्ड भेज देते कि लड़की पसंद ना आई। पड़ोसियों से कुर्सी-मेज और कप-प्लेटें तक उधार लाते थे, दुनियाभर से बुनाई-सिलाई के नमूने इकट्ठे करने पड़ते थे…लड़की के गुणों की चर्चा करने हेतु। ढेर-ढेर दहेज दिया, फिर भी लड़कियों को सुख नसीब ना हुआ। आजकल के लोग लड़कियों के हर नखरे उठा रहे हैं। अपनी बेटी बना के   ला रहे, पर लड़कियों के नखरे खत्म ही ना हो रहे।’’ अम्मा ने आह लेते हुए कहा।
‘‘उस लड़की ने अपनी सूरत ना देखी काली-कट्टोे थी। तीन इंच की हील पहन कर आई, ‘पर लड़के की हाईट कम है…’ कहकर मना कर दिया, बुरा हो इन स्त्री मुक्तिवालों का इत्ती मुक्तहो गई स्त्री…कि किसी को कुछ  नहीं  समझती, हम तो दहेज भी  नहीं  मांग रहे, फिर भी लड़का ब्याह  नहीं  पा रहे!’’ वह मन-ही-मन भुनभुनाई।
शाम तक लड़का और खबर दोनों आ गई कि, ‘‘लड़की को लड़का पसंद है।’’ सुनकर कानों पर भरोसा तक नहीं हो रहा, वैसे अब सब बहुत खुश हैं, पर…अंदर-ही-अंदर डरे हुए हैं, लड़की पढ़ी-लिखी है। कहीं  किसी बात पर नाराज होकर शादी को मना न कर दे। लड़की ने हनीमून पर विदेश जाने की शर्त रखी है जो सबने फट-से मान ली।
सब भगवान से मना रहे हैं शादी बिना किसी रुकावट के शांति से निपट जाए… कोई भी फोन आए, तो डर लगता है कहीं कोई और डिमांड तो नहीं लड़की की। शादी का मुहूत्र्त जल्दी का निकाल लिया है, अगले ही महीने का। ‘‘ये लड़का ब्याहे, तो गंगा नहाएं। बहू-बेटे सुखी-सुखी जीवन बिताएं अपने बाल-बच्चे संभालें और क्या चाहिए?’’
नहीं जी, एक अजीब-सा भय है…जोे दुनिया को देख-सुनकर मन में जगह बना चुका  है…‘‘पता नहीं बहु किस बात पर रूठे और अटैची लेकर मायके चल दे, और आने की मना कर दे या तलाक मांग ले कि लड़का पसंद नहीं…यह अच्छा पति नहीं! या दहेज का केस कर दे…पर दहेज तो लिया ही नहीं?…तो क्या  पुलिस और  जज थोड़े ही आए थे ब्याह में, जो उन्हें पता होगा? ’’ बहुत लड़कियां भेंट  चढ़ गईं जमाने के बदलने की उम्मीद लिए…आखिर  जमाना बदल ही गया और ऐसा बदला है कि कभी-कभी तो लगता है कि कहीं बदला तो नहीं ले रहा?’

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